हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, हौज़ा ए इल्मिया ईरान की उच्च परिषद् के उप सचिव आयतुल्लाह जवाद मरवी ने मदरसा जहांगीनर ख़ान क़ुम के छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि तलबगी का असली मतलब और पहचान इमाम ज़माना (अ) की फिक्र में शामिल होने से तय होती है, और यही सबसे बड़ी, स्थायी और बरकत वाली सेवा है जो कोई इंसान समाज के लिए कर सकता है।
आयतुल्लाह मरवी ने कहा कि यदि कोई पूछे कि आज के दौर में उम्मत की सबसे बड़ी सेवा क्या है तो उसका जवाब इमाम ज़माना (अ) के रास्ते में सेवा है। उन्होंने बताया कि वे 31 देशों का सफर कर चुके हैं और विभिन्न शैक्षिक केंद्रों को करीब से देखा है, मगर इन सब अनुभवों के बाद भी वे इसी नतीजे पर पहुँचे कि सबसे बड़ी सेवा इमाम ज़माना (अ) के सैनिक बनने में है।
उन्होंने छात्रों को ज़ोर दिया कि वे अरबी अदब में महारत हासिल करें, क्योंकि यही धार्मिक छात्रो मे कामयाबी की बुनियाद है। उनका कहना था कि चाहे आप फक़ह, क़लाम, फ़लसफ़ा या तफ़सीर के क्षेत्र में जाएं, अरबी भाषा की मजबूती आपके शैक्षिक उन्नति का पहला सीढ़ी है।
आयतुल्लाह मरवी ने शहीद सानी की मिसाल देते हुए कहा कि एक महान मुज्तहिद ने भी मिस्र जाकर अरबी अदब दोबारा सीखा, जो इस ज्ञान की अहमियत को दर्शाता है।
उन्होंने छात्रों को नसीहत दी कि वे अपने दरूस (पाठ) की उपयोगिता समझें ताकि मायूसी से बच सकें, क्योंकि जब पढ़ाई का व्यवहारिक पहलू साफ न हो तो कमजोरी उत्पन्न होती है।
उन्होंने आगे कहा कि अख़लाक, खुदसाज़ी, सुबह जल्दी उठना और शिक्षकों का सम्मान सफल तलबगी की बुनियाद हैं, और यही पुरानी हौज़वी रिवायत आज भी शैक्षिक कामयाबी की गारंटी है।
आपकी टिप्पणी